चौपाई: *कनक कलस भरि कोपर थारा। भाजन ललित अनेक प्रकारा॥भरे सुधा सम सब पकवाने। नाना भाँति न जाहिं बखाने॥1॥ भावार्थ:-(दूध, शर्बत, ठंडाई, जल आदि से) भरकर सोने के कलश तथा जिनका वर्णन नहीं हो सकता ऐसे अमृत के समान भाँति-भाँति के सब पकवानों से भरे हुए परात, थाल आदि अनेक प्रकार के सुंदर बर्तन,॥1॥ *फल […]
दोहा: *तदपि जाइ तुम्ह करहु अब जथा बंस ब्यवहारु।बूझि बिप्र कुलबृद्ध गुर बेद बिदित आचारु॥286॥ भावार्थ:-तथापि तुम जाकर अपने कुल का जैसा व्यवहार हो, ब्राह्मणों, कुल के बूढ़ों और गुरुओं से पूछकर और वेदों में वर्णित जैसा आचार हो वैसा करो॥286॥ चौपाई: *दूत अवधपुर पठवहु जाई। आनहिं नृप दसरथहिं बोलाई॥मुदित राउ कहि भलेहिं कृपाला। पठए […]
चौपाई: *नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा॥आयसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही॥1॥ भावार्थ:-हे नाथ! शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई एक दास ही होगा। क्या आज्ञा है, मुझसे क्यों नहीं कहते? यह सुनकर क्रोधी मुनि रिसाकर बोले-॥1॥ *सेवकु सो जो करै सेवकाई। अरि करनी करि करिअ लराई॥सुनहु […]
The Hosts
Samantha and Olivia are both writers and activists.